विवेक जैविक कृषि

खाद तैयार करने की विधि

(क) नाडेप:

नाडेप खाद बनाने की विधि कम्पोस्ट खाद बनाने की ये एक लोकप्रिय विधि है, इस विधि से कम समय एवं न्यूनतम प्रयास में अधिक मात्रा में खाद बनकर तैयार हो जाता है। इस विधि से न केवल अधिक मात्रा में खाद तैयार करके फसल का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाया जा सकता है बल्कि इसे एक स्वतंत्र उत्पादन इकाई के रूप में संचालित किया जा सकता हैI जिसे गांवों के युवक एक अच्छे व्यवसाय के रूप में अपना सकते हैं। मधुमक्खी के छत्ते जैसे साधारण सस्ती आयताकार ईंट से बने टैंक की संरचना बनाते हैं। टैंक का आकर 10 फुट का होता है। अगर खाद बनाने के लिए अधिक सामग्री उपलब्ध है तो लम्बाई बढाई जा सकती है। हलाकि चौरई 6 फुट से एवं ऊंचाई 3 फुट से अधिक नहीं होनी चाहिए। इस टैंक, ईट और कीचड़ से बनाया जाता है, सीमेंट का भी उपयोग कर सकते है। टैंक के ऊपर के दो परतो को सीमेंट से जोड़ना चाहिए, इस आकर के टैंक के लिए आवश्यक ईंट की कुल संख्या लगभग 1500 है। टैंक को ऊँचे स्थान पर बनाना चाहिए। यदि संभव हो तो टैंक उस जगह स्थित होना चाहिए जो आसपास के जमीनी स्तर से थोड़ा अधिक ऊँचा हो। खाद के नमी को बनाये रखने के लिए पानी की आवश्यकता होती है, इसीलिए टैंक पौधों के नीचे और पानी के स्रोत के करीब स्थित होना भी महत्वपूर्ण है। टैंक बनाते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए की वो खेत के पास हो जिससे की तैयार खाद आसानी से खेत में डाला जा सके। टैंक के निचले हिस्से को अच्छी तरह से सील करना चाहिए जिससे की तरल पदार्थ बाहर न जा सके, हो सके तो टैंक का सबसे निचला परत ईंट का बनाना चाहिए। टैंक बनाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए की हर तीसरी परत के बाद एक मधुमक्खी के छत्ता जैसी परत बनी हो। मधुमक्खी के छत्ते जैसा परत बनाने का सबसे अच्छा तरीका है की नीचे से तीसरी पंक्ति तक पहुँचने पर वैकल्पिक ईंट को छोड़ दे। इसके बाद हर दो अतिरिक्त पंक्तियों के बाद ऊपर दिए पैटर्न के तरीके से बनाएं। एक बार टैंक पूरा होने पर संरचना के भीतर कार्बनिक पदार्थ को रखने का महत्वपूर्ण कार्य शूरू होता है। आवश्यक मात्रा एवं बनाने की विधि नियमानुसार है। 1500 किलोग्राम पौधे और खेत की सुखी टहनियां , डंठल , जड़ पत्तियां अदि, जिसमे से सभी प्रकार की प्लास्टिक,कांच और पत्थरो को हटा दिए जाता है को एकत्रित करते है। अन्य सड़ने वाली सामग्रियों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। जिसमे कि इस्तेमाल न होने वाली मछली का पदार्थ, कारखाना का कचरा , कटा हुआ पेपर अदि। 90-100 किलो गोबर का घोल या इसके स्थान पर बायोगैस की स्लरी भी इस्तेमाल किया जा सकता है। खेत के ऊपरी परत की सुखी मिट्टी जिसमे से कांच,पत्थर और प्लास्टिक जैसे सभी सामग्रियों को हटा दिए गया हो। गोऊ मूत्र में मिला मिट्टी ज्यादा अच्छी होती है। नाडेप खाद के निर्माण में महत्वपूर्ण तकनीक यह है की पूरे टैंक को एक ही बार में भरना चाहिए। टैंक को 24 घंटे के भीतर भर देना चाहिए और 48 घंटे से आगे किसी भी कीमत पर नहीं जाने देना चाहिए क्योंकि यह खाद की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। परत दर परत सामग्री भरने से पहले टैंक की दीवारों को पानी या गोबर की घोल से भिगो देना चाहिए।

बनाने की विधि

पहली परत: पहली परत में 6 इंच की ऊंचाई तक कूड़ा कचरा भरते हैं। इसमें 100-120 किलो सामग्री का उपयोग होता है।

दूसरी परत: 4 किलोग्राम गोबर को 125 से 150 लीटर पानी में घोल कर पहली परत को अच्छी तरह भिगो देते है। भिगोने के लिए अधिक पानी की आवश्यकता हो सकती है।

तीसरी परत: दूसरी परत के ऊपर 60 किलोग्राम बारीक़ मिट्टी छिड़क कर पानी से भिगो देते है |

इसी क्रम में परत दर परत टैंक को भरते जाते हैं, इस प्रकार टैंक को उसकी ऊंचाई से 2-5 फ़ीट अधिक ऊंचाई तक भरते है। आमतौर पर 11 से 12 परत में टैंक भर जाता है। अंत में 3 इंच मोटी मिट्टी की परत से ढकते हैं | अंत में गोबर से लेप कर सील कर देते  हैं। 15 से 20 दिन बाद टैंक आधा फ़ीट निचे तक आ जाता है उसे फिर से उसी क्रम में भर देते है एवं मिटटी एवं गोबर से लेप देते हैं।

नाडेप खाद 90-120 दिन में बनकर तैयार हो जाता है बनाने के दौरान नमी 15-20 प्रतिशत बना कर रखते हैं।

(ख) केंचुआ खाद:

केंचुआ व किसान खेती के आरम्भ से ही एक-दूसरे के पूरक रहे हैं। केंचुआ मृदा में मौजूद मृत जैविक पदार्थों (पेड़-पौधों की पत्तियों) को खाकर अपना जीवन चक्र चलाता है। केंचुए इस जैव पदार्थ को खाकर मल के रूप में जो पदार्थ निकालते हैं उसे केंचुआ खाद कहते है। इस खाद से मृदा की उर्वराशक्ति बढ़ती है, पौधों की जड़ों का अच्छा विकास होता है तथा हमें उत्तम गुणवत्ता वाली फसल प्राप्त होती है। किसान केंचुए से अच्छी गुणवत्ता की जैविक खाद बनाकर रासायनिक खाद व उर्वरकों से मुक्ति पा सकते हैं। केंचुआ भूमि में सुरंग बनाता है, इससे मिट्टी भुरभुरी होती है और उसमें जल एवं वायु का संचार बढ़ जाता है। केंचुए में प्रोटीन अधिक मात्रा में होने के कारण कई देशों में यह मनुष्यों के भोजन व दवाइयों के बनाने में भी प्रयोग किया जाता है। केंचुआ खाद में पौधों के लिए आवश्यक सभी तेरह पौशक तत्व में स्वतः ही मौजूद होते हैं। इनमें लगभग नाइट्रोजन 2.5 प्रतिशत, फास्फोरस 1.5 प्रतिशत व पोटाश 1 प्रतिशत की मात्रा होती है। केंचुआ खाद बनाने के लिए केंचुए की सर्वोत्तम प्रजाति आइसीनिया फटिडा है, जोकि अपने वजन के बराबर प्रतिदिन खाद बनाता है। लेकिन किसान ने इतने उपयोगी जीव को जाने-अनजाने में ज्यादा व गलत तरीके से जुताई करके, रासायनिक उर्वरक व दवाइयां डालकर खेतों से समाप्त कर दिया है

केंचुआ खाद बनाने की विधि

केंचुआ खाद बनाने के लिए 11 फीट लम्बाई व 4 फीट चैड़ाई के आकार में पक्का फर्श बनाकर इसमें 10 फीट लम्बाई व 3 फीट चैड़ाई में 50 किलोग्राम पेड़-पौधों की पत्तियां अथवा अन्य कोई जैव पदार्थ जो गल-सड़ सकता है बिछाकर उसके ऊपर 15 दिन पुराना ठण्डा तीन कुन्तल गोबर फावड़े से काट कर डाल देते हैं। इसके पश्चात् इस पर पानी का छिड़काव करते रहते हैं। इसके ऊपर इतना पानी छिड़कें कि यह क्यारी़ पूरी तरह से तर हो जाए लेकिन ध्यान रखें कि पानी इससे बाहर न निकले। गोबर लगाने के पश्चात पांच किलोग्राम केंचुए एक क्यारी में छोड़ देते हैं, तत्पश्चात् उसे पुराल या टाटपट्टी से ढक देते हैं। मौसम के अनुसार पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए। केचुआ खाद की क्यारी़ में हमेशा 35-40 प्रतिशत नमी तथा 15-30 डिग्री सेन्टीग्रेट तापक्रम बना रहना चाहिए। केंचुआ खाद की क्यारी में उपयुक्त नमी व तापमान रहने पर केंचुए भली प्रकार खाद बनाते है। इस प्रकार एक माह बाद केंचुआ खाद की क्यारी से तैयार खाद उतार कर उस पर पुनः गोबर लगा दें।

वर्मीवाश: 

वर्मीवाश को केंचुओं व गोबर की सहायता से तैयार किया जाता है। इसका उपयोग फसलों की वृद्धि व अधिक फसल उत्पादन हेतु करते हैं। वर्मीवाश में मौजूद सूक्ष्म जीवाणुओं, ह्मूमिक अम्ल व हार्मोन्स से भूमि का पी.एच. मान सामान्य बना रहता है।

वर्मीवाश बनाने की विधि

छोटे ड्रम के उपर बडे़ ड्रम को स्टैन्ड़ की सहायता से रख देते हैं। बडे़ ड्रम की तली में एक निकास द्वार बना कर इस पर एक टाट-पट्टी रखकर गोबर व केंचुए डालकर पानी छिड़क देते हैं। इसके ऊपर पानी से भरी छिद्रयुक्त बाल्टी लटका दें। इससे धीरे-धीरे पानी टपकता रहता है और नीचे वाले ड्रम में वर्मीवाश इकट्ठा होता रहता है। वर्मीवाश में 10 गुणा पानी मिलाकर फसलों पर छिड़काव करने से अच्छी पैदावार होती है।

बनाने के लिए आवश्यक सामग्री

केंचुए - 5 किलोग्राम

गोबर - 50 किलोग्राम

जैव पदार्थ - 2 किलोग्राम

ताजा पानी - 10 लीटर

प्लास्टिक का एक ड्रम - 100 लीटर क्षमता