रासायनिक कीटनाशकों के अत्याधिक व्यवहार से फसलों में विभिन्न कीटों का नियंत्रण दिनों दिन काफी मुश्किल होता जा रहा है। आज किसि नशिजीव का नियंत्रण करने के लिए जैविक नियंत्रण के साधनों जैसे फेरोमोन ट्रैप (गंधफाश) आदी का समेकित उपयोग किया जाए। इस पद्धति में गंधफाश एवं गंध (ल्योर) का कीट की स्थिति का आकलन करने एवं नर पतिंगो को पकड़ कर नष्ट करने में अपना उल्लेखनीय योगदान है।

फेरोमोन गंद क्या हैघ् फेरोमोन एक प्रकार का जैविक पदार्थ है जो किसी मादा पतंगा (मोथ) द्वारा प्रकृति में उनके नर कीट को मैथुन क्रिया के लिए आकर्षित करने हेतु निष्कासित किया जाता है।
निगरानी (कीट सूचक) फेरोमोन ट्रैप और उससे संबंधित ल्योर को प्रति एकड़ चार से पांच की संख्या में लगाया जाता है। इससे फसल में कीट आगमन तथा उनकी संख्या का पता लग जाता है और इसके आधार पर उचित नियंत्रण के उपाय भी किए जा सकते हैं। इसके द्वारा खेतों में विभिन्न कीटों की क्षमता का आकलन करके एवं उनकी बड़े पैमाने पर पकड़ कर नष्ट करने के लिए फेरोमोन तकनीक का विकास किया गया है।
इनमें से कुछ कीड़ेए जिनके फेरोमोन उपलब्ध है वह है हेलीकॉवरपा आर्मीजेराए (अमेरिकन बोल वर्म), चना का फली छेदकए पेक्टिनोफोरा गोसिपियला (कपास का गुलाबी कीट) एरियस विटेला (कपास का गूलर वेधक)।
इस विधि में ल्योर ट्रैप (गंध फाश) दो वस्तुओं से बना होता है जिसमें ल्योर का उपयोग नर पतींगो को आकर्षित करने के लिए किया जाता है। फाश यानि ट्रैप के अंतर्गत ऊपर का एक ढक्कन है जो ल्योर की वर्षा एवं सूर्य की किरणों से रक्षा करता है वह एक छैला रहता है जिसमें किट एकत्र करने की थैली फसाई जाती है यह थैली कीटों को फंसाने और संग्रह करने के काम आती है।
मास ट्रैपिंग (बड़े पैमाने पर किटो को फसाना)
सेक्स फरोमोन ट्रैप का उपयोग कीट का अधिक समूह में पकड़ने के लिए भी किया जाता है। जिससे नर कीट ट्रैप हो जाए और मादा की अंडा देने से वंचित रह जाए।
कैसे उपयोग करें-
खेतों में किस ट्रैप को सहारा देने के लिए एक डंडा गाड़ना होता है। डंडे के सहारे छल्ले को बांध कर इसे लटका दिया जाता है। ऊपर से ढक्कन में बने स्थान पर ल्योर को फंसा दिया जाता है तथा बाद में छल्लो में बने पैरों पर इसे कस दिया जाता है। कीट एकत्र करने की थैली को छल्ले में विधिवत लगाकर इसके निचले सिरे को डंडे के सहारे एक छोर पर बांध दिया जाता है। इस ट्रैप की ऊंचाई किस प्रकार से रखनी चाहिए कि ट्रैप का ऊपरी भाग फसल की ऊंचाई से 1 से 2 फुट ऊपर रहे।
ट्रैप का निर्धारण व सघनता
प्रत्येक कीट के नर पातिंगो को बड़े पैमाने पर एकत्र करने के लिए सामान्यतः दो से चार ट्रैप प्रति एकड़ पर्याप्त है। एक ट्रैप से दूसरे ट्रैक की दूरी 30 से 40 मीटर रखनी चाहिए। कीट की सघनता का अनुश्रवण करने के लिए एक ट्रैप प्रति 5 एकड़ रखना चाहिए। इस ट्रैप को खेत में लगा देने के उपरांत इस में फंसे पतिगों की नियमित जांच की जानी चाहिए और पाए पतिगों का आंकड़ा रखना चाहिए जिससे उनकी गतिविधियों पर ध्यान रखा जा सके। बड़े पैमाने पर कीड़ों को पकड़कर मारने के उद्देश्य जब इसका उपयोग किया जाए तो थैली मे एकत्रित कीड़ों को नियमित रूप से नष्ट कर थैली को बराबर खाली करते रहे जिससे उसमें नए कीड़ों को प्रवेश पाने का स्थान बना रहे।
इस नई तकनीक का लाभ यह है कि किसान अपने खेतों पर कीटो की संख्या का आकलन कर उनके कीटनाशकों के उपयोग की रणनीति निर्धारित कर अनावश्यक रासायनिक उपचार से बच जाए।
फेरोमोन ट्रैप एवं ल्योर का लाभ
आवश्यक सावधानियां
फसल एवं कीटों के लिए प्रयुक्त होने वाले ल्योर
| अमेरिकन सुंडी/लट | हेली ल्योर | दलहनी फसलों के लिए |
| धबेदर सुंडी | इर्वित ल्योर | भिंडीए तरोईए कद्दू वर्गीय |
| डायमंड बैक मोथ | डी. बी. एम. ल्योर | गोभी फूल के फसल के लिए |
| बैंगन तना एवं फली छेदक | लूसी ल्योर | बैंगन एवं मिर्च के लिए |
| मेलन फ्लाई | बाकू ल्योर | कद्दू वर्गीय |
| फ्रूट फ्लाई (फल मक्खी) | बेडोर ल्योर | आम, अमरूद, लिची, नारंगी फुल के फसल के लिए |
| अर्ली शूट बोरर | ई एस बी ल्योर | धान, गन्ना के लिए |